” जादू का घमण्ड ” – Tenali Raman Story in Hindi
एक दिन महाराज अपने कमरे में महारानी से मिलने गए। महाराज ने देखा कि, महारानी बहुत उदास बैठी थी।
महाराज कहते है – क्या हुआ महारानी, आप इतना शांत क्यों बैठी है? कोई बात है क्या।
महारानी – नही, कोई बात नही है।
यह देखकर महाराज उदास होकर दरबार चले जाते है।
दरबार मे उपस्थित सभी मंत्रियों से कहते है – हमारी महारानी बहुत उदास है। हम उन्हें खुश देखना चाहते है। कृपया आप मे से कोई ऐसा उपाय बताइये, जिससे महारानी के चेहरे पर खुशी आ जाये।
तभी एक मंत्री उठकर कहते है – महाराज, मैं एक जादूगर को जानता हूँ। वह बहुत अच्छा जादू करता है।
जब वह जादू करेगा तो महारानी के चेहरे पर खुशी आ जायेगी। आप उसे बुलाइये।
( महाराज उस जादूगर को बुलाने का आदेश दे देते है। वह मंत्री जादूगर को दरबार मे पेश करते है )
दरबार मे महाराज और महारानी, सभी मंत्री उपस्थित होते है।
जादूगर, महाराज से कहता है – आदाब जहाँपनाह,
महाराज, जादूगर से कहते है – “हमने तुम्हारे जादू के बारे में बहुत सुना है, कि तुम बहुत अच्छा जादू करते हो।
अगर तुमने महारानी को अपने जादू से खुश कर दिया तो हम तुम्हें सोने की अशर्फियाँ देंगे ”
यदि तुमने महारानी को खुश नही किया तो हम तुम्हें दंड देंगे।
( जादूगर को अपने ‘जादू पर बहुत घमण्ड था )
वह कहता है – ठीक है महाराज,
( जादूगर महारानी के सामने जादू करना शुरू कर देता है। वह कई सारे जादू करता है। लेकिन रानी के चेहरे पर हँसी नही आती है )
यह देखकर महाराज को बहुत गुस्सा आता है ।
महाराज कहते है – ये कैसा जादू कर रहे हो। तुम अपने आप को बहुत बड़ा जादूगर कहते हो। लेकिन रानी के चेहरे पर बिल्कुल भी हँसी नही आई है।
अब हम तुम्हें दण्ड देंगे।
जादूगर डर जाता है और कहता है – महाराज, मुझे माफ़ कर दीजिये। मैंने कई कोशिशे की लेकिन फिर भी रानी के चेहरे पर हँसी नही आई।
महाराज, मैं आपको साबित करके दिखा सकता हूँ कि, मैं एक बहुत बड़ा जादूगर हूँ। मुझे एक मौका दीजिये।
महाराज कहते है – ठीक है, हम तुम्हें एक मौका और देते है। लेकिन अगर तुमने यह साबित नही किया, तो हम तुम्हें कड़ी सजा देंगे।
जादूगर कहता है – महाराज, यदि मैने रानी को खुश कर दिया तो आप मुझे ‘ पचास सोने की अशर्फियाँ देंगे। ‘
( महाराज उसकी शर्त मान लेते है )
जादूगर घमण्ड से कहता है – महाराज, आप अपने दरबार मे एक प्रतियोगिता कराइये।
आपके दरबार या राज्य में से किसी जादूगर ने अगर मुझे हरा दिया तो मैं जादू करना छोड़ दूंगा
और यदि मैं जीत गया तो मेरा दण्ड आप उस हारे हुए जादूगर को दोगे।
( महाराज उसकी शर्त मान जाते है )
फिर महाराज दरबार के सभी मत्रियों से कहते है – क्या आप मे से कोई इस प्रतियोगिता में भाग लेगा?
दण्ड के डर से कोई भी इस प्रतियोगिता में भाग नही लेता है।
फिर महाराज तेनाली से कहते है – तेनाली क्या तुम इस प्रतियोगिता में भाग लोगे ?
‘ हाँ ‘ महाराज, मैं इस प्रतियोगिता में भाग लूँगा। लेकिन आप मुझे एक दिन का समय दे दीजिये।
( तेनालीराम घर जाकर सोचने लगते है कि, कैसे उस घमण्डी जादूगर का घमण्ड तोड़ा जाए )
एक दिन बाद दरबार में जादूगर और तेनाली आते है। फिर प्रतियोगिता शुरू हो जाती है।
तेनाली उस जादूगर से कहते है – मैं अपनी आँख बंद करके एक जादू करूँगा और वहीं जादू तुम्हें अपनी आँख खोलकर करना होगा।
जादूगर कहता है – ठीक है।
फिर तेनाली अपनी पोटली से मुठ्टी भरकर अपनी आँख बंद करके आँखों पर मिट्टी डालते है।
यह देखकर जादूगर डर जाता है और सोचता है, कि यदि उसने अपनी खुली आँख में मिट्टी डाली तो उसकी आँख खराब हो जाएगी।
तेनाली की चतुराई देखकर सभी लोग बहुत खुश हो जाते है।
फिर उस जादूगर की बारी आती है। वह महाराज के सामने हाथ छोड़कर कहता है – मुझे माफ़ कर दीजिए , महाराज। यदि मैने आँखो में मिट्टी डाली तो मेरी आँखें खराब हो जाएंगी।
यह देखकर महारानी बहुत जोर – जोर से हँसती है। महाराज उन्हें देखकर बहुत खुश हो जाते है।
फिर महाराज उस घमण्डी जादूगर को सजा देते है और तेनालीराम को उसकी समझदारी के लिए उसे इनाम देते है
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